चंडीगढ़ : पराली की समस्या वाकई बढ़ती जा रही है। हरियाणा में तो किसान पराली प्रबंधन के बारे में सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं। सरकार भी पराली प्रबंधन के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और साथ ही साथ करोड़ों खर्च भी किए जा रहे हैं लेकिन बात बनती नज़र नहीं आ रही है।
पराली से होने वाला है बुरा असर
प्रदेश में इस बार भी पराली से बुरा हाल होने वाला है। कहा जा रहा है कि सरकार पराली प्रबंधन के लिए हर साल 147 करोड़ खर्च कर रही है लेकिन इसका असर होते नज़र नहीं आ रहा है। इससे अब सरकार की भी मुश्किल बढ़ने वाली हैं। आइए जानते हैं
हरियाणा में पराली प्रबंधन नहीं हो रहा सफल
हरियाणा में प्रदूषण को रोकने के लिए पराली प्रबंधन करने का काम किया जा रहा है। लेकिन अफसोस है कि हर साल 147 करोड़ खर्च करने के बाद भी ये प्रयास सफल नहीं हो पा रहा है। कई बन्दिशों के बाद भी किसान पराली जलाने से बाज़ नहीं आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के साथ साथ कई आदेश जारी किए जा चुके हैं लेकिन जमीन स्तर पर पराली जलाने से कोई नहीं मान रहा है।
हरियाणा को दोष देती है दिल्ली
दिल्ली भी अब हरियाणा को ही प्रदूषण का जिम्मेदार बताती है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने भी हरियाणा सरकार को पराली का स्थायी प्रबंधन करने के लिए 693 करोड़ रूपये दिए हैं जिसमें से 591 खर्च भी किए जा चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पाया है।
इस बार भी बुरे हो सकते हैं हालात
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी करीब 36.7 लाख मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन करना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो वाकई प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। जानकारी के अनुसार अब तक पराली जलाने पर कई किसानों को गिरफ्तार भी किया गया हैं और जुर्माना भी लगाया गया है लेकिन किसान मानने को तैयार ही नहीं हैं।