कैथल : घीया, करेले, तोरी खाने से बेशक बहुत से लोग जी चुराते हो. मगर अब यह खेती मुनाफे का सौदा बनती जा रही है. घीया, करेले, तोरी और खीरा बहुत से किसानों के लिए लाखों रुपए कमाई का जरिया बन गया है. यही वजह है कि लोग पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जियों की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. आज हम हरियाणा के कैथल के एक ऐसे ही किसान की बात करेंगे. जिन्होंने घीया, करेले, तोरी और खीरे की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमाया है. इस किसान ने हरित खेती से एक नए बदलाव की बयार शुरू की है. इन सब्जियों की खेती इस किसान के लिए वरदान साबित हो रही है. यदि मौसम की मार से बचे रहे तो सब्जियों की खेती फायदे का सौदा है. ये सब्जियां निरोगी और गुणकारी होती है. गेहूं और धान की खेती सब्जियों की खेती के आगे आय के मामले में कहीं नहीं ठहरती.
15 साल से सब्जी की खेती कर रहे हैं श्यामलाल
पिछले 15 साल से इन सब्जियों की खेती कर रहे किसान श्यामलाल का कहना है कि उन्होंने पशुपालन और खेती के अन्य तरीकों से अच्छा खासा मुनाफा कमाया है. परंतु जो मुनाफा उन्हें इन सब्जियों से हुआ है वह किसी अन्य व्यवसाय से नहीं हुआ. किसान श्यामलाल को हरी सब्जियों की पैदावार से जो मजा आया वह किसी और खेती में नहीं आया. इसलिए श्याम सिंह ने साफ कहा कि बस अब तो हरी सब्जियों की खेती ही उनके मन को भा गई है.
किसान श्याम लाल ने बताया कि वह कई सालों से सब्जियों की खेती कर रहा है, इससे पहले वह पशुपालन के व्यवसाय भी करते थे . किसान श्यामलाल ने बताया कि उनके पास सिर्फ अढ़ाई एकड़ अपनी जमीन है और लगभग 25 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर कार्य कर रहे हैं. इनमें से लगभग 7-8 एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं.
कमा लेते हैं किसान अच्छा मुनाफा
किसान श्यामलाल ने अपने खेती के व्यवसाय से होने वाली कमाई के बारे में बताया कि यदि मौसम अच्छा है और बाजार भाव बढ़िया मिले तो वह 1 एकड़ में दो से ढाई लाख रुपए का मुनाफा आसानी से कमा लेते हैं. यह मुनाफा खेती में आने वाले खर्च को काटकर होता है. उन्होंने बताया कि 1 एकड़ जमीन में घीया और खीरे की खेती में भी 1 लाख रुपए तक का खर्चा आता है. मौसम ठीक रहने पर और बाजार में अच्छा भाव मिलने पर इन दोनों फसलों से डेढ़ से 2 लाख रुपए की कमाई आसानी से हो जाती है.
करेले की फसल से भी होता है अच्छा मुनाफा
किसान श्यामलाल ने अपनी खेती का पूरा विवरण देते हुए बताया कि करेले की फसल से भी वह अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं. फरवरी से अप्रैल महीनें में करेले की फसल लगाई जाती है और करीब 6 महीने तक चल जाती है. इस फसल से भी किसान गेहूं और धान के मुकाबले अच्छा लाभ कमा सकता है. जहां तक तोरी का जिक्र है नवंबर व दिसंबर में लगा दी जाती है और फरवरी से फसल देना शुरू कर देती है. सब्जियों के उत्पादन में मजदूरी, बांस लगाना, रस्सी और दवाई इत्यादि भी खर्चों में शामिल हैं. एक एकड़ में लगभग 600 बांस लग जाते हैं, जिन पर घीया की बेल चढ़ाई जाती है. किसान श्यामलाल ने कहा कि धान की बजाय किसानों को सब्जियों की खेती करनी चाहिए. यदि फसल अच्छी लग जाए तो इनसे किसान मालामाल हो जाता है. उन्होंने बताया कि वह अपनी अंतरात्मा की आवाज पर ही हरी सब्जियों की खेती पिछले 15 सालों से कर रहे हैं. जिससे उन्हें बहुत अच्छा मुनाफा होता है. वह अन्य किसानों को भी हरी सब्जियों की खेती करने की प्रेरणा देते हैं. ताकि वह भी अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें.
उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग भी बीज, बांस, इत्यादि मुहैया करवाने में मदद करता है.
सरकार ने बढ़ाई अनुदान राशि
वहीं दूसरी ओर जिला बागवानी अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए बागों की अनुदान राशि को बढ़ाया गया है. तीन साल में 50 हजार रुपये प्रति एकड़ दिया जा रहा है. सीसीडीपी क्रॉप के तहत 15 हजार प्रति एकड़ सब्जी उत्पादन, मल्चींग 6400 रुपये प्रति एकड़ दिया जा रहा है, किसानों द्वारा 8 से 10 हजार हैक्टैयर में बागवानी अपनाई हुई है. प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने पर 30 हजार रुपये मुआवजा राशि दी जा रही है. इसके लिए किसान को मुख्यमंत्री बागवानी पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होता है. इस पोर्टल पर पंजीकरण खोने के बाद सरकार तत्काल किसान को सहायता उपलब्ध करवाती है. इसलिए वह भी किसानों को हरी सब्जियों के उत्पादन के लिए प्रेरित करते हैं.